नई दिल्ली। हम सभी को पॉकेट मनी मिलता है। बचपन में पॉकेट मनी ही हमारे पास पैसे कमाने का एकमात्र जरिया होता था। हर माता-पिता अपनी क्षमता के अनुसार बच्चों को पॉकेट मनी देते हैं। ज्यादा पैसे मिलने पर हमें खुशी होती थी लेकिन इसके विपरीत कम पॉकेटमनी मिलने पर हमें काफी शिकायत भी रहती थी। कम से समझौता हम चाह कर भी नहीं करना चाहते हैं। हम सबको यहीं लगता है कि अमीर घर के बच्चे काफी खुशनसीब होते हैं क्योंकि उन्हें काफी ज्यादा रकम पॉकेटमनी के रूप में मिलती है। अब बात जब अमीर घराने की हो रही हो तो मुकेश अंबानी इसमें कैसे पीछे रह सकते हैं।
मुकेश अंबानी और नीता अंबानी के तीन बच्चे हैं अनंत, आकाश और ईशा। इन बच्चों का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में ये ही आता होगा कि इन्हें तो किसी चीज की कमी नहीं। बचपन में भी इन्हें खूब सारे पैसे पॉकेटमनी के रूप में मिलते होंगे। एक इंटरव्यू में नीता अंबानी से यहीं सवाल पूछा गया था तो इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा था कि जब मेरे बच्चे स्कूल जाते थे तो मैं उन्हें हर शुक्रवार को पांच रूपए देती थी ताकि वो अपने स्कूल के कैंटीन में खा सकें। एक बार अनंत स्कूल जाने के दौरान मुझसे दस रूपए की मांग की ओर कहा कि स्कूल में दोस्त उसका मजाक उड़ाते हैं। कहते हैं कि तू सिर्फ पांच रूपए लाता है। तू अंबानी है या भिखारी।
बेटे के इस बात का मुझे बुरा नहीं लगा क्योंकि उसके मुकेश पैसे बचाने की कला अपने पिता से ही सीखी थी। इस बात का उन्हें जीवन में कई फायदा मिला। वो हमेशा चाहते थे कि उनके बच्चे भी इस कला को सीखें। इसीलिए मैंने अपने बच्चों को कम में ज्यादा का पाठ पढ़ाया।
अपनी बात को आगे जारी रखते हुए नीता अंबानी ने कहा कि मैं अपने बच्चों को आम बच्चों की तरह रखना चाहती हूं और इस वजह से मैंनें उनमें कभी अमीर होने का एहसास नहीं होने दिया। नीता अंबानी की ये बात वाकई में सीख प्रदान करने वाली है और इस बात की नींव हमें भी अपने बच्चों के दिमाग में रखनी चाहिए।